कही पश्चिम दिशा का वास्तु दोष तो आप की उन्नति में बाधक नहीं...?
हानिकारक है पश्चिम दिशा का बढ़ना या खुला होना...?
यदि भवन में पश्चिम दिशा जादा खुल या हलकी होगी तो घर में रहनेवालो को शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक समस्या बनी रहेगी क्यूंकि यह दिशा शनि देव तथा वरुण देव की दिशा है और सूर्य देव यहाँ अस्त होते है जिस अवस्था में सूर्य से सबसे जादा नकारात्मक उर्जा उत्सर्जित होती है और इसलिए इस दिशा को बंद व भरी रखने का विधान है | जितना इस दिशा का खुला होना नुक्सान दायक है उतना ही घटना या बढ़ना भी |
- यदि पश्चिम दिशा बढ़ी हुई हो, तो उसे संशोधित कर अथवा काटकर वर्गाकार या आयताकार बनाएं।
- क्यूंकि यह स्थान वरुण देवता का भी है तो यहाँ ओवरहेड रखने का स्थान बनाये |
- इसके आलावा यहाँ स्टोर, भोजन कक्ष, अन्न भंडार, वहां रखने का स्थान आदि भी उत्तम है |
- पद्म पुराण में उल्लिखित नील शनि स्तोत्र, शनि से सम्बंधित दान, शनि देव के अन्य स्तोत्र अथवा शनि के मंत्र जाप और दिशाधिपति वरुण की आराधना करें।
- यदि इस दिशा में दोष हो तो वरुण यन्त्र तथा शनि यन्त्र को प्राण प्रतिष्ठित कर पूजा स्थान में रख कर नियमित पूजा करने से लाभ होता है और दोषों से मुक्ति मिलती है |
- संध्याकाळ में सूर्यास्त के समय सूर्यदेव की आराधना या उनके निमित्त एक सरसों के तेल का दीपक प्रजवलित करे |
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