Sunday, July 17, 2011

क्या आप अपने घर से प्यार करते है....? घर से प्यार बढ़ाने के पांच चमत्कारी उपाय....!!!

क्या आप अपने घर से प्यार करते है....? यह प्रश्न इसलिए भी अवश्यक है क्यूंकि जबतक भवन स्वामी अपने भवन से स्नेह, लगाव व प्रेम नहीं रखेगा तब तक वह भवन, वह स्थान या उस स्थान का वास्तु देवता भवन स्वामी को अपना मालिक या स्वामी मानकर कैसे आशीर्वाद देगा....? इसके लिए आपको सबसे पहले अपने निवास स्थान या कर्म स्थान से भावनात्माक लगाव होना आवश्यक है जिस प्रकार एक अभिभावक अपनी संतान के लगाव रखता है और मनन से ह्रदय से उसे निरंतर आशीष ही देता रहता है उसी प्रकार हमारे स्थान के अधिपति देवता का आशीष हमें तब ही मिलेगा जब हम उससे लगाव रखेंगे और उससे प्रेम करेंगे | तो आइये जाने पांच प्रमुख सूत्र जो बढ़ाएंगे भवन स्वामी और उसके अधिपति देवता के मध्य प्यार और स्नेह |

पहला प्यार -   
भवन स्वामी का अपने घर के दक्षिण पश्चिम में रहना अनिवार्य है। यह वह स्थान है जहाँ रहने वाले व्यक्ति को वास्तु देवता अर्थात भवन अपना स्वामी मानता है और जीवन में स्थिरता देता कई क्यूंकि यह स्थान पृथ्वी का है |
लाभ- अपना घर से जुड़ाव बढेगा औऱ आपका घर आपको शुभ फल देगा।

2. दूसरा प्यार-
यदि परिवार की सदस्यों के बीच खुशनुमा माहौल बनाये रखना है और साथ ही परिजनों में एक दुसरे के लिए सहियोग, समर्पण का भाव सदा बना रहे, आपस का तनाव दूर रहे, सौहार्द व संबंध बनाएं रखने के लिए परिवार का खुशनुमा चित्र दक्षिण और पश्चिम के कमरे में पूर्व या उत्तर की दीवार पर अवश्य लगाएं।
लाभ- परिवार में सामंजस्य बना रहेगा।

3. तीसरा प्यार
नुणराई- जिस प्रकार एक माँ अपनी संतान की नज़र उतरती है उसी प्रकार आपको भी सपनो के स्वर्ग से सुंदर अपने घर को नमक और राई लेकर उसकी नज़र उतरनी है | किसी अमावस्या को नमक और राइ ले और ईशान कोण से अपनी घर की एक परिक्रमा शुरू करें और ईशान पर ही समाप्त कर घर के बाहर जाकर आग में जला दें। ऐसा छह मॉस में एक बार अवश्य करे | 
लाभ- किसी भी प्रकार की बुरी नज़र या बाला होगी तो तत्काल उतर जाएगी |

4. चौथा प्यार
घर की उर्जा को साफ़ सुथरा और सुरक्षित रखने हेतु घर में हमेशा नमक के पानी का पोछा लगाएं और घर का हर एक सदस्य खुद इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करें हर दिन।
लाभ- घर की उर्जा साफ़, शुद्ध होगी तो शुभ व प्रगति कारक, उन्नति प्रदायक विचार आयेंगे |

5. पांचवां प्यार
प्रात: उठते ही व संध्याकाळ में भवन के प्रवेश द्वार का साफ सुथरा व शुद्ध करें। उसे कभी भी गंदा न रखें। हो सके तो उसे सुसज्जित करें।जिससे गृह स्वामी जब काम पर निकले तो घर व द्वार उसे शुभ के साथ विदा दे और संध्याकाळ में उसका शुभ उर्जा के साथ स्वागत करे |
लाभ- ऐसे में घर से जाने वाले का और फिर घर वापिस आने वाले व्यक्ति का मन, मिज़ाज उत्साहवर्धक बना रहता है | दिन भर की थकान, तनाव घर में वापिस आते ही दूर हो जाते है |  

No comments: