वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है जो हमे स्वस्थ्य जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है | जब आप घर से निकले तो किस मुह निकले, किस मुह भोजन करे, किस दिशा में बैठ कर किसी बड़ी योजना को मूर्तरूप दे, या किस दिशा की तरफ सर रख कर सोये जिससे आपको सौभाग्य व आरोग्यता मिले | ऐसे में जीवनशैली व दिनचर्या को कुछ ऐसा बनाये की स्वत: वास्तु के मूलभूत व सामान्य नियमों का पालन होता रहे |
- घर में जूते-चप्पल प्रवेश द्वार पर या अव्यवस्थित कही भी इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए न हो |
- घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले तथा कर्कश ध्वनि उत्पन्न करने वाले नहीं होने चाहिए।
- प्रवेश द्वार पर कीचड़, पानी का रुकना, गन्दी नाली या नाली में पानी जमा होना घोर अशुभता का लक्षण है |
- घर के मंदिर में तीन गणेश, देवी की तीन मूर्ति तथा विष्णु सूचक दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है।
- घर के मध्य भाग (ब्रह्मस्थान) में जूठे बर्तन, गंदे कपडे, साफ करने का या स्थान शौचालय नहीं होना चाहिए।
No comments:
Post a Comment