Friday, September 2, 2011

सितम्बर मॉस 2011 का राशिफल

मेष 
यह माह आपके लिए काफी लाभकारी सिद्धि हो सकता है विशेषकर माह मध्य का समय आपके व्यापार, परिवार आदि के लिए अनुकूल रहेगा | पारिवारिक जिम्मेदारियों को नज़रंदाज़ करने से आपको कुछ मानसिक परेशानी व असहजता का अनुभव हो सकता है | समय समय पर क्रोध की अधिकता होगी जिसके प्रभावस्वरूप आपकी वाणी कुछ कठोर तथा कर्कश हो सकती है | ऐसी परिस्थिति में झूठ बोलना या बातों को छुपाना महंगा सिद्ध होगा | अपनी वाणी को सौम्य तथा क्रोध को नियंत्रित रखे | घर के बड़े बुजुर्गो का मान सम्मान करना आपका धर्म है | उनका आपमान न करे | आपकी नई व्यापारिक योजनाएं सफल होने के योग बन रहे हैं |

वृषभ 
वर्तमान मॉस में आपको अपने अंदर की छुपी प्रतिभा, कला को पहचान कर उसके अनुसार काम करने का अवसर प्राप्त होगा जिसका आप लाभ भी लेंगे और अपनी इस कला को निखारने का प्रयास भी करेंगे, जिसके मध्याम से आपको अपने कार्यक्षेत्र, समाज आदि में मान सम्मान का लाभ होगा | माह के अंतिम सप्ताह में कुटुंब के वरिष्टजनों, बडे़ भाई या बहन आदि से संपत्ति या वर्चस्व को लेकर कुछ मन-मुटाव होने की संभावना बनती है | आप इस समय यदि भूमि में निवेश करना चाहते हैं तो समय अनुकूल है और आप इस निवेश से अच्छा लाभ ले सकते है | काफी समय से रुके कार्य के सिद्ध होने की प्रतीक्षा करें | आपने यदि किसी कार्य को करने की कोई योजना बना रखी है तो सोच समझ कर आगे बढे |

मिथुन 
आपको इस समय में अचानक धन लाभ हो सकता है, बकाये धन या किसी ऐसे धन जिसकी आस आप छोड़ चुके थे उसके लिए आप प्रयास करे, लाभ होगा और पुन: प्राप्ति होगी | आपके कार्य क्षेत्र के लिए यह माह बहुत ही उत्तम है विशेषकर व्यापारिक विस्तार हेतु वर्तमान समय आपके अनुकूल रहेगा | जो भी बड़े व गंभीर तथा महत्व्यपूर्ण निर्णय आप करेंगे उसमे सफल होंगे | नौकरी पेशा व्यक्तियों को वर्तमान समय में पदोन्नति तथा आय में वृद्धि के प्रबल योग बन रहे हैं | माह के अंत में कार्य प्रणाली व क्षमता को लेकर आपके परिवार व कार्यक्षेत्र के उच्च अधिकारी से मतभेद हो सकते हैं | कार्यक्षेत्र व परिवार से जुड़े महत्व्यपूर्ण दस्तावेजों को संभाल कर रखें |

कर्क 
इस माह की शुरुआत में आपके साथ कुछ अप्रिय घटना हो सकती है जिसमे आपके व्यापार, कार्यक्षेत्र से जुड़े कुछ महत्व्यपूर्ण दस्तावेज चोरी होने की अधिक सम्भावना है | अपने कार्य, व्यापार से जुडी कार्य प्रणाली की गुप्त बात की चर्चा हर किसी के सामने ना करें | वर्तमान समय में नए माध्यम से अपने कार्य क्षेत्र में विस्तार व परिवर्तन लाने का प्रयास करे तो लाभ मिलेगा | वाहन दुर्घटना के भी दुर्योग है अत: वाहन प्रयोग में सावधानी बरतें | साथ ही इस मॉस में अपने स्वास्थ्य और दिनचर्या का ध्यान भी रखे क्यूंकि कुछ अरिष्ट योग भी बन रहे है |  नियमित भोजन व दिनचर्या का पालन करे |

सिंह 
इस मॉस कुछ मानसिक उलझन आपको तनाव देगी, अचानक समक्ष आये बड़े खर्चे आपका बजट बिगाड़ेंगे, व्यय को नियंत्रित कर, धन का संचय करे | इस मॉस मध्य में आर्थिक तंगी के कारण घरेलू समस्याओं व क्लेश का सामना करना पड़ सकता है | बहुत अधिक तनाव न ले, किसी भी बात को अपने अंदर न छुपाये जो आगे चलकर गंभीर हो जाये और साथ ही आपको अंदर अंदर तनाव दे | आप अपने करीबी मित्र, विश्वासपात्र सहियोगी, जीवनसाथी या निकट परिजनों से समस्या बाँट कर कोई हल निकालने का प्रयास करे | अपने स्वस्थ्य का ध्यान रखे | मॉस अंत तक आप सभी समस्याओ से चिंतामुक्त होकर सुखी हो चुके होंगे |

कन्या 
चले आ रहे तनाव व मानसिक समस्या का निवारण मिलेगा, कोई एक ऐसा विलंबित, कठिन कार्य सिद्ध होगा जीससे आपको मानसिक परेशानी से राहत मिलेगी | परिवार में मांगलिक आयोजन तथा किसी आगंतुक व मेहमान के आने की संभावना बनती है | वही माह अंत में व्यापार के बड़े निर्णय से जुडी कोई बड़ी व्यापारिक चुक के चलते आपको आर्थिक क्षति के साथ मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है | साथ ही आपके आंतरिक तथा बाह्य शत्रुओं से आपको सावधान रहने की आवश्यकता है | अपने मित्र और विरोधियो को चिन्हित कर ही अपनी भावनाओं को व्यक्त करे अन्यथा धोखा मिलने की सम्भावना अधिक है |

तुला 
वर्तमान समय में अपने शत्रुओं से सचेत रहे तथा मित्र के वेश में शत्रु को अपना हितैषी समझने की भूल ना करें | इस समय में कुछ लापरवाही भी परिवार में अपने पिता से और कार्यस्थान में अपने उच्चाधिकारियों से विचारों में अत्यधिक भिन्नता कराएगी जिससे विवाद और टकराव बढ़ेंगे जिससे आपको सचेत रहने की आवश्यकता है | विचारो की शुद्धि हेतु शिव जी की आराधना से लाभ होगा | मतिभ्रम तथा विरोधाभास होने से आपको हानि भी उठानी पड़ सकती है | संतान पक्ष की ओर से आपको कुछ शुभ समाचार व उपलब्धि प्राप्त होगी |

वृश्चिक 
यह मॉस वृश्चिक राशी के जातको हेतु उत्तम होगा व्यापारिक लाभ के योग प्रबल है | परिवार व कुटुंब के समस्त वरिष्टजन तथा अपने से बडे़ और सम्मानीय व्यक्तियों का निरादर ना करें लोगो कि सेवा करे लाभ में वृद्धि होगी | कोई दुर्घटना के साथ आपको चोट लगने की संभावना बनती है, सचेत रहे और वाहन प्रयोग में सावधानी बरतें | खान पान को नियंत्रित व नियमित करे अन्यथा उदर विकार से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है अथवा त्रिदोष विकार भी हो सकते हैं | 

धनु 
कठिन परिश्रम के उपरांत वांछित सफलता के योग है | विद्यार्थियों के लिए यह माह तनाव से परिपूर्ण, अधिक संतोषप्रद नहीं रहेगा | उन्हें अपने आलस्य का त्यागकर पूरी उर्जा से अध्ययन में लग जानना चाहिए | आपके कर्म की दृष्टि से यह माह आपके लिए उत्तम उपलब्धियों से परिपूर्ण और अच्छा साबित होगा | आपको अपने प्रयासों तथा परिश्रम के अनुरूप अच्छे फलों की प्राप्ति होगी | दाम्पत्य जीवन में तनाव का समय समाप्त होकर जीवनसाथी से आपको प्रेम व लाभ की प्राप्ति हो सकती है |

मकर
विगत समय से अभी तक किए गए सृजनात्मक कर्मों का शुभ फल आपको प्राप्त होगा | व्यवसायियों के लिए यह माह मिश्रित फल देने वाला साबित हो सकता है | जहाँ तक संभव हो निवेश से बचने का प्रयास करे | नौकरी पेशा लोगो को भी कार्यक्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए बार-बार तथा रात-दिन कठोर परिश्रम व मेहनत करनी पडे़गी | साझेदारी में व्यवसाय करने वालों को अपने साझेदार के प्रति अविश्वास की भावना नहीं रखनी चाहिए अन्यथा व्यवसायिक संबंधों में दरार उत्पन्न हो सकती है परन्तु आर्थिक लेन देन या धन के बटवारे में पारदर्शिता रखेंगे तो कोई समस्या नहीं आएगी |

कुम्भ 
इस माह आपको व्यर्थ की भाग दौड़ अधिक होगी जिसके प्रभाव स्वरुप शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है, अत: स्वास्थ्य पर पूर्ण ध्यान देने की आवश्यकता है | परन्तु आर्थिक निर्णय आपके पक्ष व आपके हित में होंगे तथा आर्थिक लाभ मजबूत होगा | परिवार या भाई से किसी बात पर मन मुटाव हो सकता है जो आपके भीतर रोष अथवा द्वेष की भावना को बढ़ा सकता है | इसके प्रभाव से आपको मानसिक कठिनाईयों का सामना करना पडे़गा | मन की बात किसी करीबी व्यक्ति से कर लेना आपको राहत देगा | अत्यधिक क्रोध से बचे अन्यथा आपका कार्य व स्वस्थ्य प्रभावित होगा |

मीन 
इस माह आपको अपनी याद्दाश्त को बनाए रखने के लिए कुछ ध्यान तथा योग का सहारा लेंना पड़ेगा अन्यथा बार बार भूलने की समस्या समक्ष होगी |  काफी समय से चली आ रही पारीवारिक कलह से मुक्ति मिलेगी जो आपको राहत प्रदान करेगी | आपकी कोशिश व प्रयास से कुटुंब कि कलह और विवाद सुलझ सकता है अत: ऐसी स्थिति पैदा होंने पर आप ही पहल कर मध्यस्थता करे | इस माह में भाग्य के बल से कई सारी ऐसे घटनाये होंगी  जिससे आपको तथा आपकी व्यापारिक सृजनात्मक योजनाओ को बल मिलेगा और उत्साहवर्धन होगा |

Thursday, September 1, 2011

महान तपोनिष्ट ऋषियो के प्रति हमारी श्रद्धा, कृतज्ञता और समर्पण आदर का पर्व ऋषि पंचमी


भाद्रपद की शुक्ल पक्ष पर पड़ने वाली पंचमी ऋषि पंचमी कहलाती है। इस दिन किये जाने वाला व्रत ऋषि पंचमी व्रत कहलाता है। यह व्रत और यह पूजा, आरती, अर्घ्य, तर्पण की प्रक्रिया हमारे महान तपोनिष्ट ऋषियो के प्रति हमारी श्रद्धा, कृतज्ञता और समर्पण आदर की भावना को प्रदर्शित करता है की हम जिनके वंश परम्परा से आते है और जिसने ने स्वयं को तिल तिल जलाकर ताप कर हमारी सुंदर, सुरक्षित भविष्य हेतु हमें सक्षम ग्रन्थ दिए, उपदेश दिए, मंत्र, दान, पूजा, जाप आदि की प्रक्रिया बताकर हमारा साक्षात्कार ईश्वर से करवाया, इस प्रकार यह पर्व हमारा आभार है इन महान विद्वानों और उनकी साधना तपस्चर्या व हमारे लिए किये गए मार्गदर्शन के लिए | यह व्रत जाने-अनजाने किसी भी प्रकार किये गये पापों से मुक्ति के लिये किया जाता है। इसलिये यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों ही के लिये समान विधि और समान फ़ल वाला बताया गया है। इस व्रत में सप्तऋषियों सहित अरुन्धती (महर्षि वसिष्ठ की पत्नी) का पूजन होता है। इसीलिये इसे ऋषि पंचमी कहते हैं।

व्रत विधि-
इस दिन किसी नदी या तालाब पर ही जाकर स्नान करना चाहिये। यदि ऐसा करना सम्भव ना हो तो वहाँ का जल घर पर ही लाकर स्नान करें। घर पर ही किसी स्वच्छ जगह चौकोर में पूजा के स्थान को लीपना चाहिये। अनेक रंगों से सर्वतोभद्र मण्डल बनाकर उस पर मिट्टी अथवा ताँबे का धट स्थापित करके उसे वस्त्र से वेष्टित कर उसके ऊपर ताँबे अथवा मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर रखना चाहिये। पंचरत्न, फ़ूल, गन्ध और अक्षत आदि से पूजन करना चाहिये। कलश के पास ही आठ पत्तियों वाला कमल बनाकर उसकी पत्तियों में कश्यप, अत्रि, भरद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि तथा वशिष्ठ - इन सप्तर्षियों और वसिष्ठ की पत्नी देवी अरुन्धती की प्रतिष्ठा करनी चाहिये। इसके बाद सप्तऋषियों तथा अरुन्धती का षोडशोपचार पूजन करना चाहिये।

निम्न मंत्र द्वारा अर्घ्य दें -
''कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः। दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्णन्त्वर्घ्यं नमो नमः।’’ 

इस दिन प्रायः लोग दही और साठी का चावल खाते हैं। नमक का प्रयोग वर्जित है। हल से जुते हुए खेत का अन्न खाना वर्ज्य है। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिये। इस प्रकार विधि-विधान से, श्रद्धा पूर्वक यह व्रत करने से जाने-अनजाने किये पापों से मुक्ति मिलती है।

Sunday, August 14, 2011

बहुला चतुर्थी व्रत, संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी या विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन चन्द्रमा के उदय होने तक संकष्ट चतुर्थी का व्रत करने का महत्व है। महिलाएं इस दिन सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवान गणेश की आराधना आरंभ करें। भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद धूप, दीप, गंध, पुष्प, प्रसाद आदि सोलह उपचारों से श्री गणेश का पूजन संपन्न करें।

इसके बाद सायं चन्द्र उदय होने तक मौन व्रत रखें। इसके बाद शाम होने पर फिर से स्नान कर इसी पूजा विधि से भगवान गणेश की उपासना करें। इसके बाद चन्द्रमा के उदय होने पर शंख में दूध, दुर्वा, सुपारी, गंध, अक्षत रख कर भगवान श्री गणेश, चन्द्रदेव और चतुर्थी तिथि को अघ्र्य दें। चतुर्थी के दिन एक समय रात्री को चंद्र उदय होने के पश्च्यात चंद्र दर्शन करके भोजन करे तो अति उत्तम रेहता हैं। इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी व्रत के पालन से सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही व्रती के व्यावहारिक, मानसिक जीवन से जुड़े सभी संकट, विघ्न और बाधाएं समूल नष्ट हो जाते हैं। 

अर्घ्य के समय गणेश, चन्द्र व चतुर्थी प्रार्थना :-
हे सब सिद्धियों के प्रदाता श्रीगणेश जी ! आपको मेरा नमस्कार है। संकटों का हरण करने वाले देव! आप मेरे द्वारा अ‌र्घ्यग्रहण कीजिए, आपको मेरा नमस्कार है। कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चन्द्रोदय होने पर पूजित देवेश! आप मेरे द्वारा अ‌र्घ्य ग्रहण कीजिए, आपको मेरे नमस्कार है। तिथियों में गणेश जी को सर्वाधिक प्रिय देवि! आपको मेरा नमस्कार है। आप मेरे समस्त संकटों को नष्ट करने के लिए अ‌र्घ्य स्विकार करें। 

श्रीगणेश चतुर्थी व्रत के क्या है लाभ और क्या करे.....क्या न करे....
भगवान श्रीगणेश जी को प्रसन्न करने का साधन बहुत ही सरल और सुगम है। इसे गरीब या अमीर मनुष्य कर सकता है। इसमें न विशेष व्यय की, न विशेष दान-पुण्य की, न विशेष योग्यता की और न विशेष समय की ही आवश्यकता है। भगवान श्रीगणेशजी की पूजा करते समय इन बातों पर विशेष ध्यान दें। भगवान श्रीगणेशजी की प्रतिदिन पूजा करे और प्रात:काल उठकर सबसे पहले इनके चित्र या मूर्ति के दर्शन करे। किसी काम के प्रारम्भ से पहले भगवान श्रीगणेशजी का स्मरण करना कभी न भूलो। अपने निवास, मकान, महल बनाते समय द्वार पर आले में भगवान श्रीगणेशजी की सुंदर मूर्ति लगाना न भूलो। इससे आपको हर समय दर्शन-स्मरण करने का सौभाग्य मिलेगा। भगवान श्रीगणेशजी को प्रसन्न करने के लिए स्वयं भी सात्विक बनो। तामसिक वस्तुओं का सेवन मत करो। पूज्य ब्राह्मणों द्वारा श्रीगणेश पुराण की कथा का श्रवण करे। मंदिर में श्री गणेशजी का दर्शन-पूजा करो। गणेशजी के मंत्र का जप तथा इनके नाम का संकीर्तन करे। भगवान श्रीगणेशजी प्रसन्न होंगे और आपकी विघ्न-बाधाओं को दूर कर देंगे |

बहुला व्रत का महत्व 
इस व्रत को स्त्रियाँ अपने पुत्रों की रक्षा के लिए मनाती हैं. इस व्रत को रखने से संतान का सुख बढ़ता है. संतान की लम्बी आयु की कामना की जाती है.  इस दिन गाय माता की पूजा की जाती है. इस व्रत में गेंहू चावल से निर्मित वस्तुयें तथा दूध व दूध से बने पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता है. इस दिन गाय के दूध पर केवल उसके बछडे़ का अधिकार माना जाता है.,गाय और शेर की प्रतिमा मिट्टी से बनाकर उनका पूजन किया जाता है,गाय जमीन जायदाद और घर की महिलाओं से सम्बन्धित है, और शेर परिवार की शक्ति और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।

व्रत रखने की विधि 
इस दिन सुबह सवेरे स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहने जाते है. पूरा दिन निराहार रहते हैं. संध्या समय में गाय माता तथा उसके बछडे़ की पूजा की जाती है. भोजन में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. जिन खाद्य पदार्थों को बनाया जाता है उन्हीं का संध्या समय में गाय माता को भोग लगाया जाता है. देश के कुछ भागों में जौ तथा सत्तू का भी भोग लगाया जाता है. बाद में इसी भोग लगे भोजन को स्त्रियाँ ग्रहण करती हैं. इस दिन गाय तथा सिंह की मिट्टी की मूर्ति का पूजन किया जाता है.

बहुला चतुर्थी व्रत कथा
द्वापरयुग में भगवान्‌ श्रीकृष्ण द्वारा जंगल में सिंह के रुप में कामधेनु के अंश से उत्पन्‍न गाय, जो नन्दकुल की सभी गायों में सर्वश्रेष्ठ गाय थी.जिसका नाम बहुला था, की परीक्षा ली और बहुला द्वारा बछडे को दूध पिलाकर सिंह के पास वापस लौट कर आने का वचन निभाना और अपने वचन एवं सत्य धर्म का पालन करने की कथा है। जिसकी वचन निष्ठा देख कृष्ण भगवान ने कहा कि बहुला तुम्हारे प्रभाव से और सत्य के कारण कलयुग में घर-घर में तुम्हारा पूजन किया जाएगा. इसलिए आज भी गायों की पूजा की जाती है और गौ मता के नाम से पुकारी जाती हैं. इस दिन श्री विघ्नेश्वर गणेश जी की पूजा-अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते हैं, इस लिये इसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। 

Sunday, July 17, 2011

घर की उर्जा को शुद्ध व कलह हो नियंत्रित करने हेतु कुछ सुझाव

आपकी सहायता हेतु वास्तु अनुरूप घर की उर्जा को शुद्ध व कलह हो नियंत्रित करने हेतु कुछ सुझाव :-

- गुग्गुल युक्त धूप व अगरवत्ती प्रज्वलित करें वेदमंत्र का उच्चारण करते हुए समस्त गृह में घुमाएं।
- जब भी किसी महत्व्यपूर्ण कार्य हेतु निकले तो कुछ कदम शुभ दिशा अर्थात उत्तर पूर्व की तरफ चल कर कार्य पर जाये |
- घर के मुख्य द्वार पर गणपति को स्थापित कर सिंदूर चढ़ाए फिर उसी सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक व बाई तरफ ॐ बनाएं।
- घर में झाड़ू को उत्तर पूर्व में खुले में या खड़ा करके नहीं रखना चाहिए उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, ऐसा रखे की आगंतुक को दिखाई न दे |

वास्तु के मूलभूत व सामान्य नियम

वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है जो हमे स्वस्थ्य जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है | जब आप घर से निकले तो किस मुह निकले, किस मुह भोजन करे, किस दिशा में बैठ कर किसी बड़ी योजना को मूर्तरूप दे, या किस दिशा की तरफ सर रख कर सोये जिससे आपको सौभाग्य व आरोग्यता मिले | ऐसे में जीवनशैली व दिनचर्या को कुछ ऐसा बनाये की स्वत: वास्तु के मूलभूत व सामान्य नियमों का पालन होता रहे |

- घर में जूते-चप्पल प्रवेश द्वार पर या अव्यवस्थित कही भी इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए न हो |
- घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले तथा कर्कश ध्वनि उत्पन्न करने वाले नहीं होने चाहिए।
- प्रवेश द्वार पर कीचड़, पानी का रुकना, गन्दी नाली या नाली में पानी जमा होना घोर अशुभता का लक्षण है |
- घर के मंदिर में तीन गणेश, देवी की तीन मूर्ति तथा विष्णु सूचक दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है।
- घर के मध्य भाग (ब्रह्मस्थान) में जूठे बर्तन, गंदे कपडे, साफ करने का या स्थान शौचालय नहीं होना चाहिए।

वास्तु सिधांत द्वारा सफलता प्राप्त करने के कुछ सूत्र

व्यक्ति जीवन में संघर्ष करता है सफलता प्राप्त करने हेतु और अपनी जिम्मेदारी को भली भांति पूरा करने हेतु..उसमे जीवन यात्रा में कई ऐसे पड़ाव आते है जब व्यक्ति बहुत ही असहाय हो जाता है.....और यदि कुछ छोटी छोटी बातो का ध्यान दे दिया जाये तो शयद यह जीवन यात्रा बहुत ही सहज और रोचक हो जाये तो आइये आज कुछ ऐसे ही सरल उपाय...जिनसे मिलेगा जीवन में लाभ-

- भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाये |
- मुकदमे आदि से संबंधित कागजात धन रखने के स्थान पर न रखें |
- पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।
- सम्पूर्ण भवन में व प्रवेश द्वार पर जल या गंगाजल से नित्य सिंचन करे |
- रात्रिकाल में शयन से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान अवश्य करे |


दैनिक जीवन में लाभ हेतु मुख्य वास्तु सूत्र...!!!

जीवन में सफलता प्राप्त करने का सम्बन्ध कुंडली के बाद आपके निवास व कार्य स्थान की उर्जा पर निर्भर करता है जहा आप अपने जीवन का अधिक से अधिक समय व्यतीत करते है....और यह हमारे दैनिक दिनचर्या से जुड़ा हुआ प्रश्न है तो आइये कुछ ऐसे मुख्य सूत्र है जिनसे आज प्रकाश डालते है जिनका हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्व्य है |

- दक्षिण दिशा की तरफ सर रख कर शयन करे |
- घर की परिधि में कंटीले या जहरीले नहीं होने चाहिए |
- पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व उत्तर की ओर होना चाहिए।
- प्रातः काल सूर्य को अर्य देकर सूर्य नमस्कार अवश्य करें।
- पूजा स्थान घर के पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए |
- भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके ही ग्रहण करे |